निचली अदालत, दिल्ली हाईकोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी निर्भया के दुष्कर्मी पवन की उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें उसने वारदात के वक्त खुद के नाबालिग होने का दावा किया था। कोर्ट ने कहा कि याचिका में कोई नया निर्भया गैंगरेप आधार नहीं है। सुप्रीम कोर्ट की। आधार नहा हा सुप्रीम कादका का दोषी पवन विशेष बेंच ने सोमवार को पवन के वकील एपी सिंह से सवाल किया कि पुनर्विचार याचिका में भी आपने यही मामला उठाया था, अब इसमें नई जानकारी क्या है और क्या यह विचार करने योग्य है? एपी सिंह ने दलील दी कि पवन के उम्र संबंधी दस्तावेजों की जानकारी पुलिस ने जानबूझकर छिपाई। हाईकोर्ट ने भी तथ्यों को नजरंदाज किया।। पवन ने याचिका में कहा था. हाईकोर्ट ने नाबालिग होने की दलीलों और सबूतों को अनदेखा कर फैसला दिया, लिहाजा इंसाफ किया जाए। न्याय प्रक्रिया में थोड़ी सी भी चूक मुझे फांसी के फंदे तक पहुंचा देगी। यह सिर्फ फांसी को टालने का हथकंडा है। उसकी याचिका 2013 में ही सुप्रीम कोर्ट से खारिज हो गई थीकोर्ट रिव्यू पिटीशन भी ठुकरा चुका है। दोषी सिर्फ वक्त बर्बाद कर रहे हैं। उन्हें 1 फरवरी को फांसी पर लटकाया । जाना चाहिए। - आशा देवी, निर्भया की मां एंकर स्टोरी सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया : पुनर्विचार याचिका में भी दोषी ने 'यही बात उठाई थी। अब आपके पास इसमें क्या तीस नई जानकारी है। क्या यह अब विचार करने योग्य है? वकील एपी सिंह : इस मामले में बहुत बड़ी साजिश है। दिल्ली पुलिस ने जानबूझकर द्विवेदी पवन की उम्र संबंधी दस्तावेजों की जानकारी । छिपाई है। वारदात के वक्त पवन की उम्र 17 साल, 1 महीने और 20 दिन थी। ऐसे में वारदात में उसकी भूमिका नाबालिग के तौर पर देखी जाए। दोषी पवन ने दिल्ली हाईकोर्ट में भी वारदात के वक्त खुद के नाबालिग होने का दावा । किया था, लेकिन हाईकोर्ट ने तथ्यों को नजरंदाज कर दिया।
पवन की याचिका सुप्रीम कोर्ट में भी खारिज